नीतीश ने किया कन्हैया का समर्थन, कहा- देश को चाहिए असहिष्णुता से आजादी

Politics of Nitish Kumar. Anti Modi campaign to boost their pseudo secular politics. Wake up India for a better start.

nitish-kumar-cm-of-biharपटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगाए गए आरोपों का समर्थन करते हुए कहा कि देश को असहिष्णुता से आजादी चाहिए। कन्हैया देशद्रोह का आरोप लगाने वालों से अधिक देशभक्त हैं। कन्हैया ने बिल्कुल सही कहा है कि हमें देश से आजादी नहीं बल्कि देश में आजादी चाहिए। नेपाल की दो दिवसीय यात्रा के बाद शुक्रवार को पटना पहुंचे मुख्यमंत्री ने हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से बातचीत में कन्हैया की रिहाई पर खुशी जाहिर की।
कन्हैया ने जो कहा है वह सही है
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं जेएनयू में कन्हैया के भाषण को सुन तो नहीं पाया, लेकिन जो पढ़ा है उसमें उन्होंने बहुत ही अच्छी बात को उठाया है। भाषण बहुत ही प्रभावकारी रहा है। कन्हैया ने जो कहा है वह सही है। गरीबी, असहिष्णुता और पूंजीवाद से लोगों को आजादी चाहिए। कन्हैया ने बेहतर मुद्दा उठाया है। ऐसे छात्र नेता से लोकतंत्र मजबूत होता है। सीएम ने कहा कि जेएनयू में मुखर लोग रहते है। केंद्र सरकार ने छात्रों, युवाओं और महिलाओं के लिए कुछ नहीं किया। चुनाव के समय जिस तरह युवाओं का मनोबल बढ़ाया गया उनके लिए तरह-तरह की घोषणाएं की गईं और चुनाव के बाद देशद्रोह और देशभक्ति का नया मुद्दा बनाकर उन्हें फंसाया जा रहा है।
कन्हैया को गलत तरीके से फंसाया
मुख्यमंत्री ने कहा कि कन्हैया को गलत तरीके से फंसाया गया है। कन्हैया देशभक्त है, एक होनहार छात्र है और वह बिहार का बेटा है वह कभी देशविरोधी बयान नहीं दे सकता। उसकी बातों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। मैंने पहले भी कहा था कि कन्हैया के खिलाफ जब सुबूत नहीं हैं तो उसे क्यों गिरफ्तार कर जेल में रखा गया? मैं उसे दिल से चाहता हूं, मैं यह भी जानता हूं कि राजनीति के तहत उसे फंसाया गया। केंद्र में बैठे लोगों को अपना असंतोष जाहिर करने के लिए शगूफा चाहिए, अपनी नाकामयाबी छुपाने के लिए कोई मुद्दा चाहिए और इसी के तहत जेएनयू प्रकरण चलाया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी नई पीढी आकांक्षाओं से भरी हुई है और काफी समझदार है। देश में चल रही गतिविधियों पर उसकी हमेशा नजर रहती है। हमें उनका सम्मान करना चाहिए। छात्रों की बातों को भी सुनना चाहिए कि के क्या कह रहे हैं? वे क्या चाहते हैं? उनकी कही बातों का गलत मतलब निकालकर उसे राजनीतिक रंग देना गलत है। किसी होनहार छात्र का भविष्य और किसी शिक्षण संस्थान को बदनाम करना सरासर गलत है।

Source: Dainik Bhaskar
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