पटना.12 साल से जेल में बंद पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की कुछ फोटोज 7 मार्च को सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। फोटोज में उसके साथ बिहार सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अब्दुल गफूर और रघुनाथपुर के राजद विधायक हरिश्ंकर यादव भी थे। तीनों कुर्सी पर बैठे थे और सामने टेबल पर नाश्ता-पानी रखा था। पता चला था कि तस्वीर सीवान जेल की है। जानिए, क्यों कहा जा रहा शहाबुद्दीन रिटर्न्स...
- जेल में शहाबुद्दीन से मिलने गए बिहार सरकार के मंत्री और विधायक वाली फोटो में कई बातें जेल मैनुअल के विपरीत थी।
- जाहिर है, नेताओं का मिलने जेल के किसी अधिकारी के चैंबर में हुआ। वहां नाश्ता-पानी आया। कैमरे का इस्तेमाल किया गया।
- फोटो वायरल हुआ तो जांच की औपचारिकता शुरू हुई। विधायक हरिशंकर यादव बोले- हम दुख-सुख बतियाने गए थे। वहीं, मंत्री ने चुप्पी साध ली।
- राजनीतिक हलकों में चर्चा चली, राजद की सरकार आ गई है। ‘साहेब’ की तो निकल पड़ी।
‘साहेब’ की बजाय ‘शहाबुद्दीन’ पुकारना मानी जाती थी गुनाह
- मो.शहाबुद्दीन, साहेब और एमपी साहब। तीन अलग-अलग नाम लेकिन शख्सियत एक। हां, किरदार अलग-अलग रहे हैं।
- कभी डॉन, कभी जनप्रतिनिधि और तो कभी समानांतर सत्ता की हनक और रसूख रखने वाला शख्स।
- साल 1990 के बाद का एक वह भी दौर था जब सीवान में रहने वाला कोई आमो-खास शायद ही ‘साहेब’ की बजाय ‘शहाबुद्दीन’ नाम लेकर पुकार ले।
- इसे गुनाह माना जाता था और सजा- जो साहेब मुकर्रर कर दें। खौफ और साहेब एक दूसरे के पर्याय बन बैठे थे।
- सामाजिक न्याय की सरकार के साथ शहाबुद्दीन का उत्थान हुआ। सामाजिक न्याय की सरकार गई तो शहाबुद्दीन का पतन हुआ। जेल में डाले गए।
- अब जबकि फिर से सामाजिक न्याय वाली पार्टी सरकार की बड़ी भागीदार है, शहाबुद्दीन का नाम सुर्खियों में है।
Source: Bhaskar

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