पटना.यूं तो लोग फेसबुक का इस्तेमाल दोस्तों से जुड़ने और अपनी फीलिंग साझा करने के लिए करते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं, जिनकी लाइफ फेसबुक के चलते बदल गई। एक ऐसे ही युवा हैं बिहार के भागलपुर जिले के मनीष भट्टाचार्या। गरीब परिवार में जन्मे मनीष के सफलता की कहानी किसी फिल्म की तरह है। इस कहानी की एक ही सीख है कि कभी परिस्थितियों से हार न मानें और जो मौके मिले उसका पूरा फायदा उठाएं। एडमिशन के लिए नहीं जुट रहे थे पैसे...
मनीष ने dainikbhaskar.com को बताया कि 12th की परीक्षा पास करने के बाद मेरी इच्छा इंजीनियर बनने की थी। इसके लिए मैंने दो साल तैयारी की और IIT-JEE की परीक्षा में भाग लिया। दोनों कोशिशों में मेरा रैंक इतना अधिक नहीं था कि किसी सरकारी कॉलेज में एडमिशन ले पाऊं। पैसे की तंगी के चलते मैं बड़े शहर में जाकर महंगे कोचिंग संस्थान में भी एडमिशन नहीं ले सकता था।
पिता ने कर्ज लेकर दिए थे एडमिशन के लिए पैसे
मनीष ने कहा कि इसी दौरान मुझे उत्तर प्रदेश के मेरठ के शोभित यूनिवर्सिटी के बारे में पता चला। इस कॉलेज में एक साल का फीस एक लाख रुपए था और एडमिशन के लिए 25 हजार रुपए लग रहे थे। मैंने अपने पिता से 25 हजार रुपए की मांग की। पिता ने कहा कि मैं 8 हजार रुपए प्रति माह कमाता हूं। एकाएक 25 हजार रुपए कहां से दे सकता हूं। इसपर मैंने कहा कि आप एडमिशन के पैसे दीजिए बाकी के पैसे के लिए एजुकेशन लोन लेने की कोशिश करूंगा।
मनीष ने कहा कि इसी दौरान मुझे उत्तर प्रदेश के मेरठ के शोभित यूनिवर्सिटी के बारे में पता चला। इस कॉलेज में एक साल का फीस एक लाख रुपए था और एडमिशन के लिए 25 हजार रुपए लग रहे थे। मैंने अपने पिता से 25 हजार रुपए की मांग की। पिता ने कहा कि मैं 8 हजार रुपए प्रति माह कमाता हूं। एकाएक 25 हजार रुपए कहां से दे सकता हूं। इसपर मैंने कहा कि आप एडमिशन के पैसे दीजिए बाकी के पैसे के लिए एजुकेशन लोन लेने की कोशिश करूंगा।
फेसबुक के एक प्रोग्राम ने बदल दी मनीष की लाइफ
मनीष के पिता एक दुकान में काम करते थे। उनके लिए कॉलेज का फीस चुकाना संभव न था, फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। पिता ने सहकर्मियों से कर्ज लेकर मनीष को 25 हजार रुपए दिए। इससे मैंने एडमिशन लिया और लोन पास कराने में जुट गया। थोड़ी-बहुत कोशिश के बाद लोग भी पास हो गया और पढ़ाई आगे बढ़ने लगी।
पढ़ाई के दौरान मुझे फेसबुक के बग बाउंटी (‘Bug Bounty Program’) प्रोग्राम के बारे में पता चला। मैंने इसके बारे में जानकारी जुटाई और फेसबुक को उसके सुरक्षा खामियों के बारे में बताया। मेरे द्वारा दी गई जानकारी पर फेसबुक ने रिसर्च की तो पता चला कि मैंने जो कमी बताई थी वह सचमुच में थी। इसके बदले फेसबुक ने 5 हजार डॉलर का इनाम दिया। फेसबुक इस प्रोग्राम के जरिए अपने पेज में चल रही सुरक्षा कमी के बारे में जानकारी जुटाता है और जानकारी सही होने पर इनाम देता है।
फेसबुक से 5 हजार डॉलर (तब के करीब 3 लाख रुपए) मिलने पर मुझे बहुत खुशी हुई। मेरी पहली कमाई इतनी बड़ी होगी कभी सोचा नहीं था। दूसरे दिन मैं कॉलेज नहीं गया और पेमेंट के लिए जरूरी काम निपटाने लगा। फेसबुक से मिले इनाम के बारे में मेरे एक क्लोज टीचर को पता था। उन्होंने कॉल कर क्लास में आने के लिए कहा। क्लास में पहुंचते ही साथी छात्र-छात्राओं ने मेरा उत्साह बढ़ाया।
इसके बाद मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2011-2015 के दौरान कई साइटों के सुरक्षा संबंधी मामले के लिए काम किया। फेसबुक से मुझे एक बार 5 हजार और दो बार 5 सौ डॉलर का इनाम मिला। इसी तरह गूगल से भी 5 हजार डॉलर से अधिक पैसे मिले। कोर्स पूरा होने के बाद अमेरिकी कंपनी स्नैप पे डॉट कॉम के लिए काम करने लगा। यह कंपनी ऑनलाइन फंड ट्रांस्फर का काम करती है और मैं उसकी सेफ्टी के लिए काम करता हूं। मनीष ने बताया कि अभी वे कंपनी की तरफ से वर्क फ्रॉम होम काम कर रहे हैं। वह वीजा बनवाने की कोशिश कर रहे हैं। वीजा बनने के बाद अमेरिका जाना है।
Source: bhaskar
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