बिहार में 6 महीने पुराने शराबबंदी कानून को HC ने किया रद्द, उम्रकैद की सजा का था प्रोविजन

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बिहार.पटना हाईकोर्ट ने बिहार में लागू शराबबंदी कानून को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया। शराब मिलने पर पूरे परिवार को जेल भेजने जैसे कानून को लेकर हाईकोर्ट को एतराज था। नीतीश सरकार ने शराबबंदी को लेकर 5 अप्रैल को नया कानून लागू किया था। इसमें दोषी पाए जाने पर उम्रकैद या 10 लाख के जुर्माने या फिर दोनों का प्रावधान था।शराबबंदी पर नीतीश की कोशिशों को लगा झटका...

- इस फैसले से शराबबंदी को लेकर नीतीश सरकार को झटका लगा है।
- शराब मिलने पर पूरे परिवार को जेल भेजने जैसे कानून को लेकर हाईकोर्ट ने एतराज जताया था।
- कोर्ट ने उत्पाद अधिनियम की धारा में बदलाव कर किए गए शराबबंदी के फैसले को सही नहीं माना।
- बता दें कि बिहार समेत कई राज्यों में सीएम नीतीश कुमार शराबबंदी लागू कराने की मांग कर रहे थे।

क्या था नए शराबबंदी कानून में?
- शराबबंदी कानून का उल्लंघन करने पर पूरे गांव या शहर पर सामूहिक जुर्माने का प्रोविजन था। कलेक्टर को जुर्माने का अधिकार दिया गया था।
- ताड़ी को देशी शराब मानते हुए इसके रखने या पीने पर बैन लगाया गया था।
- ताड़ी के इस्तेमाल पर दोषियों के खिलाफ मौजूदा कानून के तहत कार्रवाई होगी। 10 लाख रुपए तक जुर्माना लगाया जा सकता था।
- उम्रकैद की सजा का भी प्रावधान किया गया था। अपराध के हिसाब से जुर्माना और उम्रकैद, दोनों सजाएं भी मिल सकती थीं।
- दूसरी बार पकड़े जाने पर दोगुनी सजा की बात कही गई थी।
- बिल के मुताबिक, किसी घर, मकान या परिसर में कोई नशीला पदार्थ या शराब पाई जाती है, उसका इस्तेमाल किया जाता है या उसे बेचा-बांटा जाता है तो परिवार के 18 साल से ज्यादा उम्र के सारे सदस्य दोषी होंगे। यह माना जाएगा कि उन्हें अपराध की जानकारी थी।
- नए कानून में शराब पीने या बेचने के सभी तरह के अपराधों गैर जमानती करार दिया गया। इसमें एक से दस लाख तक जुर्माना और 5 से 7 साल तक की सजा का एलान।
5 अप्रैल को लागू हुआ था कानून
- 5 अप्रैल 2016 को नीतीश सरकार ने शराब को बैन करने का फैसला लिया था और राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी थी।
- शराब की बिक्री बंद होने के खिलाफ शराब व्यवसायियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
- मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 5 अप्रैल को उत्पाद अधिनियम में किए गए संशोधन को रद्द कर दिया है।

Source : bhaskar
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