पटना.राज्य सरकार ने पुराने शराबबंदी कानून को बीते शुक्रवार को पटना हाईकोर्ट द्वारा निरस्त करने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। शीर्ष अदालत में सोमवार को हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की गई है। 7 अक्टूबर को चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की खंडपीठ इस पर सुनवाई करेगी।
राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता केशव मोहन ने दायर याचिका में हाईकोर्ट के फैसले को यह कहकर चुनौती दी है कि संविधान में राज्य को यह अधिकार है कि वह नागरिकों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर पूर्ण शराबबंदी लागू कर सकती है। पूर्ण शराबबंदी कानून व्यापक जनहित में ही बनाया गया था। हाईकोर्ट ने सरकार की दलील की अनदेखी की है। हालांकि राज्य में रविवार से ही नया शराबबंदी कानून लागू कर दिया गया है।
इधर, नए शराबबंदी कानून के खिलाफ हाईकोर्ट में अर्जी
पटना। विदेशी शराब पर पूरी तरह से रोक लगाने वाले कानून के हाईकोर्ट से रद्द हाेने के बाद जहां राज्य सरकार ने रविवार को पहले से तैयार नए शराबबंदी कानून को लागू किया, वहीं दूसरी ओर एक रिटायर्ड प्रोफेसर ने नए कानून की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए सोमवार को हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर दी। इसपर मंगलवार को सुनवाई हो सकती है।
पटना विवि से अर्थशास्त्र के रिटायर्ड प्रोफेसर राय मुरारी प्रसाद ने याचिका में नए शराबबंदी कानून के दंडात्मक एवं निषेधात्मक प्रावधानों को पिछले कानून से भी वीभत्स बताते हुए आरोप लगाया है कि वे संवैधानिक कसौटी पर बिलकुल खरे नहीं उतरते। चुनौती देने का दूसरा आधार है हाईकोर्ट का 30 सितंबर को दिया गया फैसला। इसमें हाईकोर्ट ने न सिर्फ एक न्यायिक निर्णय लिया बल्कि संवैधानिक कसौटी पर नया कानूनी सिद्धांत बनाया। नया शराबबंदी कानून उन कानूनी सिद्धांतों के बिलकुल विपरीत है। यानी हाईकोर्ट ने जिन बातों को गैरकानूनी ठहराया उसी को नए कानून में फिर से दोहराया जा रहा है।
गोपालगंज जहरीली शराब कांड : मकानों को सील करने के आदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
गोपालगंज में देशी शराब पीने से हुई मौत पर उत्पाद विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव ने आरोपियों और मृतकों के घरों को सील कर ज़ब्ती कार्रवाई का जो आदेश दिया था, उसपर हाईकोर्ट ने रोक लगाते हुए सरकार से 20 अक्टूबर तक जवाब मांगा है।
Source : Bhaskar

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