इस चट्टान पर सत्तू चढ़ाने से भाग जाते हैं भूत-प्रेत, हर साल आते हैं लाखों लोग


गया.बिहार के गया में चल रहे पितृ पक्ष मेले में एक वेदी ऐसी है जहां कुछ अलग नजारा देखने को इन दिनों मिल रहा है। यहां पिंडदान करने आए लोग एक बड़े चट्टान की परिक्रमा कर उस पर सत्तू चढ़ाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इससे भूत-प्रेत से मुक्ति मिलती है। इसलिए है ऐसी मान्यता...
- गया शहर के करीब 3 km दूर पिंडदान के लिए महत्वपूर्ण वेदी प्रेतशिला है। भूत-प्रेत से परेशान लोग यहां पिंडदान करने आते हैं। लोग सैकड़ों सीढ़ियां चढ़कर प्रेतशिला पहाड़ी की चोटी पर पहुंचते हैं और वहां श्राद्ध करते हैं। लोग पहाड़ी की चोटी पर स्थित एक बड़े चट्टान की परिक्रमा कर सत्तू चढ़ाते हैं।
- इस चट्टान पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मूर्ति बनी है। प्रेतशिला के पुजारी मनोज धामी कहते हैं कि इस चट्टान के चारों तरफ 5 से 9 बार परिक्रमा कर सत्तू चढ़ाने से पीड़ितों की भूत-प्रेत संबंधी वाधाएं दूर हो जाती हैं।
यहां होता है अकाल मृत्यु के बाद पिंडदान
मनोज कहते हैं कि किसी प्रकार की विघ्न बाधा या भूत-प्रेत हो तो यहां परिक्रमा करने होते हैं। अकाल मृत्यु के बाद लोग फल्गु नदी के किनारे श्राद्ध करते हैं और पिंडदान के लिए यहां आते हैं, जिससे आत्मा को मुक्ति मिल सके। पहाड़ी की चोटी पर पहुंचने के प्रवेश द्वार पर मां काली की मूर्ति है। इसके बारे में कहा जाता है कि काली मां यहां रक्षक का काम करती हैं और किसी भूत-प्रेत को वापस लौटने नहीं देती हैं।
ब्रह्म कुंड में लोग चढ़ाते हैं डंडा
पहाड़ी की चोटी के हर हिस्से का यूज श्राद्ध कराने के लिए होता है। मंदिर के छोटे से कैम्पस में एक साथ दर्जनों लोग बैठते हैं और पंडा खड़ा होकर सभी को श्राद्ध के विधि-विधान बताता है। उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश से कुछ लोग डंडा लेकर इस शिला पर आते हैं और ब्रह्म कुंड में चढ़ाते हैं। इसके बारे में मनोज कहते हैं कि भूत-प्रेत के मामले में लोग अपने घर पर त्रिपिंडी श्राद्ध कराते हैं और डंडे में प्रेत को कैद कराते हैं। डंडे को लोग अपने साथ लाते हैं और पिंडदान के बाद यहीं छोड़ जाते हैं, भूत यहीं कैद होकर रह जाता है।
ऐसे दूर होती है प्रेत बाधा
प्रेत शिला पहाड़ी की चोटी पर बने मंदिर में एक ब्रह्म कुंड है। इस कुंड में श्राद्ध के बाद लोग पिंडदान करते हैं। पुजारी मनोज कहते हैं कि शास्त्रों के अनुसार इस कुंड में पिंडदान करने से प्रेत योनि में भटक रही आत्मा को मुक्ति मिलती है। यहां पिंडदान करने से संबंधित व्यक्ति का प्रेत बाधा भी दूर होता है।

Source: Bhaskar

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